पंचवर्षीय योजनाएँ: भारत के नियोजित विकास की आधारशिला
भूमिका स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी—आर्थिक पिछड़ापन, गरीबी, अशिक्षा और बेरोज़गारी। इन समस्याओं के समाधान के लिए भारत नेनियोजित आर्थिक विकासका मार्ग अपनाया। इसी उद्देश्य से पंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत की गई। इन योजनाओं ने भारत की अर्थव्यवस्था को एक स्पष्ट दिशा और लक्ष्य प्रदान किया। पंचवर्षीय योजना का अर्थ पंचवर्षीय योजना वह योजना होती है जिसमें
पाँच वर्षों के लिए विकास लक्ष्य तय किए जाते हैं
राष्ट्रीय संसाधनों का योजनाबद्ध उपयोग किया जाता है
कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन जैसे क्षेत्रों पर समान ध्यान दिया जाता है
भारत में योजना आयोग
स्थापना:1950
अध्यक्ष: भारत के प्रधानमंत्री
कार्य: पंचवर्षीय योजनाएँ बनाना, संसाधनों का आवंटन करना
2015 में योजना आयोग को समाप्त करनीति आयोगका गठन किया गया
भारत की पंचवर्षीय योजनाएँ पहली पंचवर्षीय योजना (1951–1956)
प्राथमिकता:कृषि और सिंचाई स्वतंत्रता के बाद भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह कृषि पर निर्भर थी। इसलिए कृषि उत्पादन बढ़ाना इस योजना का मुख्य लक्ष्य था।
कारण:खाद्यान्न संकट और भुखमरी देश में अनाज की भारी कमी थी और लोगों को भोजन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था।
प्रमुख परियोजनाएँ: भाखड़ा नांगल, दामोदर घाटी जैसी बहुउद्देशीय नदी परियोजनाएँ शुरू की गईं, जिससे सिंचाई और बिजली दोनों को बढ़ावा मिला।
उपलब्धि: कृषि उत्पादन में सुधार हुआ और अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिली। यह योजना काफी हद तक सफल रही।
दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956–1961)
प्राथमिकता:औद्योगिक विकास कृषि के बाद देश को औद्योगिक रूप से मजबूत बनाना आवश्यक समझा गया।
कारण:आत्मनिर्भरता और रोज़गार सृजन विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता कम करना और देश में रोज़गार बढ़ाना उद्देश्य था।
प्रमुख परियोजनाएँ: भिलाई, दुर्गापुर और राउरकेला जैसे इस्पात संयंत्र स्थापित किए गए।
उपलब्धि: भारी उद्योगों की नींव पड़ी और सार्वजनिक क्षेत्र का विस्तार हुआ।
तीसरी पंचवर्षीय योजना (1961–1966)
प्राथमिकता:आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था भारत को आर्थिक रूप से मज़बूत और स्वतंत्र बनाना लक्ष्य था।
कारण:दीर्घकालीन विकास की योजना कृषि और उद्योग दोनों को संतुलित रूप से आगे बढ़ाना चाहा गया।
प्रमुख समस्याएँ: 1962 का चीन युद्ध और 1965 का पाकिस्तान युद्ध हुआ, जिससे संसाधन रक्षा में खर्च हो गए।
परिणाम: योजना अपने लक्ष्य पूरे नहीं कर सकी और इसे असफल माना गया।
योजना अवकाश (1966–1969)
कारण:आर्थिक संकट और युद्धों का प्रभाव देश आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा था।
विशेषता: पंचवर्षीय योजनाओं के स्थान पर वार्षिक योजनाएँ लागू की गईं।
परिणाम: विकास की गति धीमी रही, लेकिन अर्थव्यवस्था को संभालने का प्रयास किया गया।
चौथी पंचवर्षीय योजना (1969–1974)
प्राथमिकता:आर्थिक स्थिरता और विकास अर्थव्यवस्था को संतुलित करना मुख्य लक्ष्य था।
कारण:महँगाई और युद्धों का प्रभाव पहले की समस्याओं से उबरना आवश्यक था।
प्रमुख निर्णय: 14 प्रमुख बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया।
उपलब्धि: सरकार की आर्थिक भूमिका मजबूत हुई और सामाजिक योजनाओं पर ज़ोर बढ़ा।
पाँचवीं पंचवर्षीय योजना (1974–1979)
प्राथमिकता:गरीबी उन्मूलन गरीब वर्ग को विकास की मुख्य धारा से जोड़ना लक्ष्य था।
नारा:गरीबी हटाओ यह नारा जनसामान्य में बहुत लोकप्रिय हुआ।
प्रमुख कार्यक्रम: रोजगार सृजन और ग्रामीण विकास योजनाएँ शुरू की गईं।
परिणाम: राजनीतिक कारणों से योजना समय से पहले समाप्त कर दी गई।
छठी पंचवर्षीय योजना (1980–1985)
प्राथमिकता:तकनीकी और आर्थिक विकास आधुनिक तकनीक को अपनाने पर ज़ोर दिया गया।
कारण:बढ़ती जनसंख्या और गरीबी विकास को नियंत्रित और संतुलित करना आवश्यक था।
प्रमुख फोकस: जनसंख्या नियंत्रण और गरीबी घटाने के कार्यक्रम।
उपलब्धि: औद्योगिक उत्पादन और राष्ट्रीय आय में वृद्धि हुई।
सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985–1990)
प्राथमिकता:रोजगार और उत्पादकता लोगों को रोज़गार उपलब्ध कराना मुख्य लक्ष्य था।
कारण:बढ़ती बेरोज़गारी युवाओं के लिए काम के अवसर पैदा करना आवश्यक था।
प्रमुख क्षेत्र: शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाएँ।
उपलब्धि: मानव संसाधन विकास को बढ़ावा मिला।
आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992–1997)
प्राथमिकता:आर्थिक सुधार अर्थव्यवस्था को खुला और प्रतिस्पर्धी बनाना लक्ष्य था।
कारण: 1991 का आर्थिक संकट विदेशी मुद्रा की कमी के कारण सुधार ज़रूरी हो गए।
नीतियाँ: उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण अपनाए गए।
उपलब्धि: निजी क्षेत्र और विदेशी निवेश में वृद्धि हुई।
नौवीं पंचवर्षीय योजना (1997–2002)
प्राथमिकता:सामाजिक न्याय विकास का लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुँचाना।
कारण:क्षेत्रीय और सामाजिक असमानता ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों पर ध्यान दिया गया।
प्रमुख फोकस: कृषि, ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन।
उपलब्धि: सामाजिक कल्याण योजनाओं का विस्तार हुआ।
दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002–2007)
प्राथमिकता:तेज आर्थिक विकास उच्च विकास दर प्राप्त करना मुख्य उद्देश्य था।
कारण:गरीबी और बेरोज़गारी में कमी विकास को रोज़गार से जोड़ना ज़रूरी था।
प्रमुख लक्ष्य: गरीबी अनुपात कम करना और शिक्षा सुधार।
उपलब्धि: आर्थिक वृद्धि दर में सुधार देखने को मिला।
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007–2012)
प्राथमिकता:समावेशी विकास विकास का लाभ हर वर्ग तक पहुँचाना।
कारण:सामाजिक असमानता गरीब और पिछड़े वर्गों पर विशेष ध्यान।
प्रमुख क्षेत्र: शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास।
उपलब्धि: सामाजिक क्षेत्र में निवेश बढ़ा।
बारहवीं पंचवर्षीय योजना (2012–2017)
प्राथमिकता:सतत और संतुलित विकास पर्यावरण के साथ विकास को संतुलित करना।
कारण:दीर्घकालीन आर्थिक स्थिरता भविष्य की ज़रूरतों को ध्यान में रखना।
प्रमुख फोकस: कौशल विकास, ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण।
उपलब्धि: यह भारत की अंतिम पंचवर्षीय योजना रही।
पंचवर्षीय योजनाओं पर 10 महत्वपूर्ण MCQ 1. भारत में पहली पंचवर्षीय योजना कब शुरू हुई? A. 1947
B. 1950
C. 1951
D. 1952 2. पहली पंचवर्षीय योजना का मुख्य फोकस क्या था? A. उद्योग B. सेवा क्षेत्र C. कृषि D. शिक्षा 3. दूसरी पंचवर्षीय योजना किस मॉडल पर आधारित थी? A. हर्रोड मॉडल B. महालनोबिस मॉडल C. केन्स मॉडल D. सोलो मॉडल 4. योजना आयोग की स्थापना कब हुई? A. 1947
B. 1949
C. 1950
D. 1951 5. गरीबी हटाओ नारा किस योजना से जुड़ा है? A. चौथी B. पाँचवीं C. छठी D. सातवीं 6. आर्थिक सुधारों की शुरुआत किस पंचवर्षीय योजना में हुई? A. सातवीं B. आठवीं C. नौवीं D. दसवीं 7. योजना अवकाश किस अवधि में रहा? A. 1956–1959
B. 1961–1966
C. 1966–1969
D. 1971–1974 8. अंतिम पंचवर्षीय योजना कौन-सी थी? A. दसवीं B. ग्यारहवीं C. बारहवीं D. तेरहवीं 9. समावेशी विकास किस योजना का प्रमुख लक्ष्य था? A. नौवीं B. दसवीं C. ग्यारहवीं D. पहली 10. योजना आयोग को किसने प्रतिस्थापित किया? A. वित्त आयोग B. नीति आयोग C. योजना मंत्रालय D. आर्थिक परिषद उत्तर सूची
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