
2025-01-17
हाल ही में, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अरुण मिश्रा को अपना लोकपाल नियुक्त करने की घोषणा की। जस्टिस मिश्रा का यह चयन उनके व्यापक कानूनी अनुभव और न्यायिक विशेषज्ञता को देखते हुए किया गया है। यह कदम BCCI की पारदर्शिता और अनुशासन बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
जस्टिस अरुण मिश्रा का न्यायिक करियर
जस्टिस मिश्रा का करियर भारतीय न्यायपालिका में अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने 7 जुलाई 2014 से 2 सितंबर 2020 तक सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में कार्य किया और कई ऐतिहासिक फैसले दिए। इसके बाद उन्हें 2 जून 2021 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने 1 जून 2024 तक अपनी सेवाएं दीं।
उनका करियर न केवल न्यायिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि उन्होंने विभिन्न कानूनी संस्थानों में भी उल्लेखनीय कार्य किए हैं। उन्होंने मध्य प्रदेश बार काउंसिल में 1989 और 1995 में रिकॉर्ड वोटों से चयन प्राप्त किया। साल 1998 में वह भारत में सबसे कम उम्र के बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन बने।
जस्टिस मिश्रा का समृद्ध करियर और योगदान
साल |
घटना |
1989, 1995 |
मध्य प्रदेश बार काउंसिल में रिकॉर्ड वोटों से चयन |
1998 |
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सबसे कम उम्र के चेयरमैन बने |
25 अक्टूबर, 1999 |
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त |
26 नवंबर, 2010 |
राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त |
14 दिसंबर, 2012 |
कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त |
2 जून 2021 - 1 जून 2024 |
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष |
जस्टिस मिश्रा ने अपनी न्यायिक यात्रा में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें प्रमुख रहे: इन पदों पर रहते हुए उन्होंने अपने न्यायिक अनुभव का उपयोग करते हुए न्यायपालिका की मजबूती के लिए कई अहम फैसले दिए।
BCCI के लोकपाल के रूप में जस्टिस मिश्रा की जिम्मेदारियाँ
BCCI के लोकपाल के रूप में जस्टिस मिश्रा की भूमिका भारतीय क्रिकेट प्रशासन में पारदर्शिता बनाए रखना और बोर्ड के भीतर अनुशासन सुनिश्चित करना होगी। उनका कानूनी अनुभव इस महत्वपूर्ण भूमिका में मददगार साबित होगा। यह नियुक्ति भारतीय क्रिकेट को एक नई दिशा देने में सहायक हो सकती है।
निष्कर्ष
जस्टिस अरुण मिश्रा की नियुक्ति से BCCI में न्यायिक प्रक्रिया और पारदर्शिता को मजबूती मिलेगी। उनका गहरा कानूनी अनुभव और व्यापक न्यायिक दृष्टिकोण इस भूमिका में एक नई दिशा देने में सक्षम होगा। भारतीय क्रिकेट प्रशासन में इस कदम से सुधार की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे भारतीय क्रिकेट को एक नई ऊंचाई प्राप्त हो सकती है।
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