
2025-01-22
हाल ही में, 22 जनवरी 2025 को, केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान की 10वीं वर्षगांठ मनाई। यह अभियान, जो भारतीय समाज में लड़कियों के सम्मान, सुरक्षा और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था, आज अपनी सफलता की एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार कर चुका है। इस कार्यक्रम के आयोजनों का सिलसिला आज से शुरू होकर 8 मार्च, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस तक चलेगा।
कार्यक्रम की विशेषताएँ:
इस विशेष अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में सशस्त्र बलों, अर्धसैनिक बलों और दिल्ली पुलिस की महिला अधिकारी, छात्राएं और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता शामिल हो रही हैं। यह समारोह न केवल दिल्ली में बल्कि राज्य और जिला स्तर पर भी आयोजित किए जा रहे हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में लैंगिक संतुलन को बढ़ावा देना और बाल लिंग अनुपात की समस्या पर जागरूकता फैलाना है।
अभियान की शुरुआत और उद्देश्य:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत में 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना की शुरुआत की थी। यह अभियान लड़कियों के प्रति समाज की मानसिकता में बदलाव लाने, उनकी शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने और उनकी सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया था। यह अभियान लैंगिक असमानता और बाल लिंग अनुपात के मुद्दों को उजागर करने और इन्हें समाप्त करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
अभियान की प्रभावशीलता:
'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान ने देशभर में महिलाओं और लड़कियों के लिए एक सुरक्षित और समावेशी वातावरण बनाने में मदद की है। इसके तहत महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा, उनके स्वास्थ्य, और उनके अधिकारों के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाई गई है। इस अभियान के माध्यम से हजारों लड़कियों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आया है।
'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान के मुख्य बिंदु:
'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान की सफलता का सारांश:
वर्ष |
प्रमुख उपलब्धियाँ |
कार्यक्रम का प्रभाव |
2015 |
अभियान की शुरुआत हरियाणा के पानीपत से हुई। |
समाज में लड़कियों के प्रति सम्मान और सुरक्षा बढ़ी। |
2016-2020 |
कई राज्यों और जिलों में जागरूकता अभियानों का आयोजन। |
बाल लिंग अनुपात में सुधार और लड़कियों की शिक्षा में बढ़ोतरी। |
2021-2025 |
कार्यक्रम के परिणामस्वरूप देशभर में सकारात्मक बदलाव। |
लैंगिक असमानता को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान। |
निष्कर्ष:
'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान ने भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण सामाजिक बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाया है। इस अभियान की 10वीं वर्षगांठ पर, हमें यह मानना चाहिए कि यह केवल एक सरकारी पहल नहीं, बल्कि एक समाजिक आंदोलन है, जिसने महिलाओं और लड़कियों को उनकी जगह दिलवाने में अहम भूमिका निभाई है। आने वाले वर्षों में यह अभियान और भी अधिक प्रभावी तरीके से देश के कोने-कोने में अपनी छाप छोड़ेगा।
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