
2025-01-22
हाल ही में, 21 जनवरी 2025 को, विश्व बैंक द्वारा नियुक्त तटस्थ विशेषज्ञ ने भारत को सिंधु जल संधि के विवाद में समर्थन प्रदान किया। इस मामले में, जम्मू-कश्मीर के किशनगंगा और रातले जलविद्युत परियोजनाओं से संबंधित विवाद पर भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेद थे। तटस्थ विशेषज्ञ, जो इंटरनेशनल कमीशन ऑफ लार्ज डैम्स (ICOLD) के अध्यक्ष मिशेल लिनो थे, ने पाकिस्तान की याचिका को खारिज करते हुए मध्यस्थता न्यायालय स्थापित करने की आवश्यकता नहीं मानी।
भारत का पक्ष:
भारत ने इस मामले में किशनगंगा और रतले जलविद्युत परियोजनाओं पर विचार करने के लिए तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति का आग्रह किया था। 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सिंधु जल संधि के तहत दोनों देशों के बीच पानी के अधिकारों और उपयोग को लेकर असहमति बनी हुई है। इस पर विवाद को सुलझाने के लिए विश्व बैंक ने 2022 में एक तटस्थ विशेषज्ञ और मध्यस्थता न्यायालय के अध्यक्ष की नियुक्ति की थी।
तटस्थ विशेषज्ञ की भूमिका:
तटस्थ विशेषज्ञ की भूमिका यह थी कि वह परियोजनाओं से संबंधित तकनीकी और विधिक पहलुओं का विश्लेषण करें और दोनों देशों के बीच कोई समाधान निकालने का प्रयास करें। मिशेल लिनो ने पाकिस्तान की मांग को नकारते हुए मध्यस्थता न्यायालय की आवश्यकता को खारिज किया, जिससे भारत को इस मामले में एक महत्वपूर्ण कानूनी समर्थन मिला।
विश्व बैंक का निर्णय:
विश्व बैंक का यह निर्णय सिंधु जल संधि के विवाद को सुलझाने में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। पाकिस्तान की याचिका के खारिज होने से भारत को यह संदेश मिला है कि सिंधु जल संधि का पालन करते हुए, जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण में उसे कानूनी अधिकार प्राप्त हैं।
मुख्य बिंदु:
1960 की सिंधु जल संधि के बाद भारत और पाकिस्तान के विवाद:
वर्ष |
घटना |
विवरण |
1960 |
सिंधु जल संधि |
भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के अधिकारों पर संधि। |
2022 |
विश्व बैंक द्वारा तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति |
किशनगंगा और रतले जलविद्युत परियोजनाओं के संबंध में विवाद को सुलझाने के लिए। |
2025 |
तटस्थ विशेषज्ञ का निर्णय |
मिशेल लिनो ने पाकिस्तान की याचिका को खारिज किया, भारत को कानूनी समर्थन। |
निष्कर्ष:
विश्व बैंक का यह निर्णय भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत है। सिंधु जल संधि के तहत भारत को मिले अधिकारों की रक्षा करते हुए, यह कदम भारत-पाकिस्तान जल विवाद में एक नया अध्याय जोड़ता है। तटस्थ विशेषज्ञ का निर्णय इस बात का संकेत है कि जल विवादों का समाधान कानूनी और तकनीकी मार्ग से निकाला जा सकता है।
Copyright ©2025 ExamIntro
Leave A Comment